Tuesday, May 25, 2010

डेढ़ साल पहले, मैं भारत गयी। यह यात्रा क्लास कि वजह से थी, और क्लास का प्रोफेसर राज्मोहान गांधी-जी थे। पती नहीं क्यों महात्मा के पोता केंग्रीय इलनोई मैं थे, लेकिन आज तक वह पोलिटिकल-सायंस का प्रोफेसर हैं। सो, इस क्लास में भारत की राजनीति, अर्थव्यवस्थ, और गरीबी के बारे में पढ़ते थे। यात्रा के दौरान हम ने कागज़ के विषय चुनने पड़े, और यात्रा के बाद निबंध गांधी-जी को देने पड़े। दुर्भाग्य से, यह यात्रा सिर्फ एक माह मुंबई कि शूटिंग के बाद थी। हम हमेशा सुरक्षित थे, लेकिन कभी-कभी जाने-आने मुश्किल थे और कुछ जगह पर, हवा में तनाव था।

साईबाबा का जुलूस
तीसरे दिन दिल्ली में, पांच-छ हम में से हास्टल के पास सड़क पर चल रहे थे, जब मंदिर का जुलूस हमने मिल पड़ा। अचानक हाथी, ऊंट और नाचते हुए लोग से सड़क भर गयी। मेरी कमज़ोर हिन्दी से जुलूस के कारण के बारे में मैंने पूछा। उस लाल-वाले लड़के ने कहा था कि सब 'साईबाबा' के लिए थे। शिर्दीके साईबाबा उन्नीसवीं सदी से गुरु थे और अपने मंदिर हमारे हास्टल के पास था। अंत में, हम नाच रहे थे और जानवरों पर चढ़ रहे थे। में ने ऊंट पर चढ़ा!

ताज महल
अगर उत्तर-वाला भारत में हो, तो ताज महल देखना जाना। ताज महल बहुत सुन्दर था, लेकिन हमें लगता था कि ज़्यादातर लोग हम विदेशी छात्र सबसे ज्यादा दिलचस्प मानते थे। सभी समय, कुछ परिवार या कुछ लड़कों ने हमें आकर फोटो के लिए पूछा।

बहा'ई का मंदिर
बहा'ई का मंदिर, यानी कमल का मंदिर, बहुत लोकप्रिय और सुन्दर जगह था। मंदिर के उंदर ठीक शोर के बिना था, लेकिन बहार बहुत भीड़ और आवाजें थी। हम सूर्यास्त पर गए, इसलिए मेरी फ़ोटोज़ नाटकीय कि तरह दिखाई देहे हें।

दालित की चिंता
इस यात्रा से, सबसे महत्वपर्ण हिस्सा दालित के मुद्दे थे। हम ने अनेक राजनेतों से मिला और एक वाल्मीकी कॉलोनी गए, जहां कॉलोनी के नेटों से बात किया। उन्होंने कहा था कि अपनी सबसे बड़ी चिंता शिक्षा था। आम तौर से पब्लिक स्कूल बहुत बुरे थे और वहां दालित के बच्चे भेद-भाव के अनुभव करते थे। पैसा प्राइवेट स्कूल के लिए उनके पास नहीं था। सौभाग्य से, कुछ लड़कियाँ और लड़के स्कालोर्शिप से यूनिवर्सिटी जाते थे, लेकिन यह स्तिथी काफी कम है।

Friday, April 16, 2010

होमवर्क ४/१६

१) देखिये, कहीं खाना जल न जाए।
२) मुझे डर है कि मेरे अपार्टमेन्ट का किराया उठ न जाए।
३) अगर कहीं तुम उसको मिलें, तो उसको मेरी नुम्बर दो।
४) मेरे माँ-बाप भी कहीं मुझे समझने की कोशिश कर सकते हैं?
५) ध्यान से चलिए, कहीं एक्सीडेंट न हो जाए।
६) अगर कहीं बारिश हो, तो बहुत लोग हमारे प्लेय के लिए नहीं देख आएँगे।
७) मुझे डर था कि में परीक्षा फेल न करूँ।
८) वह भी कहीं दफ्तर समय पर पहुँछ सकता है?
९) मौसम बहुत बुरी है। मुझे डर है कि मेरे दादा बीमार न हो जाए।
१०) अपनी बीवी को डर है कि वह नौकरी खोएगा।

Wednesday, February 25, 2009

दिल्ली 2010 राष्ट्रमंडल खेलों के होस्ट है। लेकिन, एक साल ही तब तक, शहर में कोई ज़रूरी चीज़ नहीं शरू किए हैं। जब पत्रकारों से टीवी यह समस्ये के बारें में बात किए, तब के बाद संसद की समिति रिपोर्ट पेश कीए। रिपोर्ट कही की 30,000 कमरे ज़रूरत होगी, लेकिन अब 14,000 ही उपलब्ध हैं। यह, और परिवहन के समस्ये दिल्ली सरकार भाषण देने चाहिए।

Wednesday, January 28, 2009

homework post

लोग अंग्रजी सीख रहे हैं, और ओबामा के स्पीच इस्तेमाल करते हैं। एक किताब में, भाषणों का संकलन हैं। यह किताब बहुत-बहुत पोपुलर है, और बहुत जल्दी बिक रही है। किताब में, २००४-अब से स्पीचों का संकलन, उसके पास ९५ पेज है, और कीमत १२ डॉलर है। किताब के साथ सीडी भी है। ये स्पीच अच्छे है क्योंकि शब्दों कि ओबामा इस्तेमाल करते है - 'यस, वी कैन', और 'चेंज', की तरह - सीखने वले लोग आसान के साथ समझ और इस्तेमाल कर सकते हैं।

(blogger has a transliteration function in its post editor, so I wrote my homework here. There's an article on the Navbharat Times website about how a book of Obama's speeches is being sold to people in Japan to help them learn English. Crazy!

Link: http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/4031642.cms)

Saturday, January 3, 2009

Khan market again

Here in Khan market again. I've been compiling a list things that we've had to deal with here in Delhi, and here they are:

You probably shouldn't come to India if...

1) You're a clean freak
2) You don't like spicey food or have acid reflux
3) Are uncomfortable with blatant, pervasive poverty
4) Are agoraphobic
5) Have phobias associated with car horns or traffic
6) Get freaked out by people staring or taking pictures of you. Foreigners here (ESPECIALLY women) are quite the spectacle here. At the Taj Mahal we had people coming up to us asking is they could take pictures with us.

At the Taj Mahal.
They wanted pictures.
Of US.

All for now. Saal Mubarak! (happy new year)

Monday, December 29, 2008

In Delhi

It's our second day here in Delhi, and there is so much to talk about. Unfortunately, I only have a half hour bought at this internet cafe and I used up most of it writing home.

So far, no elephants or camels. :( But some cows and tons of stray dogs.
The digs are alright and the food is awesome. I. Love. Chai.

Apparently we're spending New years at the Taj Mahal!

I have to go now, but needless to say I will have tons of pictures when I return.

Saturday, December 13, 2008